Gorakhpur News: गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे: पहले साल 60 करोड़ की कमाई, जून-जुलाई से शुरू होगी वाहनों की आवाजाही

Gorakhpur News:  गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे अपनी शुरुआत के साथ ही न केवल क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करने जा रहा है, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी एक मील का पत्थर साबित होगा। यह 91.35 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे, जिसकी अनुमानित लागत 7,283.28 करोड़ रुपये है, जून या जुलाई 2025 से वाहनों के लिए खुलने की तैयारी में है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के आकलन के अनुसार, यह परियोजना अपने पहले वर्ष में ही टोल शुल्क से 60 करोड़ रुपये की कमाई करेगी। यह एक्सप्रेसवे गोरखपुर, आंबेडकरनगर, संतकबीरनगर और आजमगढ़ जिलों को सीधे लाभ पहुंचाएगा, जिससे इन क्षेत्रों में आवागमन आसान होगा और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

परियोजना की विशेषताएं और महत्व

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे दो मुख्य लेन और सात रैम्प के साथ डिजाइन किया गया है। यह परियोजना लागत के हिसाब से प्रति किलोमीटर आधार पर उत्तर प्रदेश की सबसे महंगी सड़क परियोजनाओं में शुमार है। इसकी लागत 7,283.28 करोड़ रुपये है, जो इसे एक हाई-प्रोफाइल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट बनाती है। यह एक्सप्रेसवे न केवल गोरखपुर और आसपास के जिलों को लखनऊ और अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ेगा, बल्कि व्यापार, पर्यटन और दैनिक आवागमन को भी सुगम बनाएगा।
यूपीडा ने टोल वसूली के लिए एक एजेंसी की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस एजेंसी को टोल संग्रह के साथ-साथ चार एडवांस श्रेणी की एम्बुलेंस, चार सेफ्टी वाहन और चार पेट्रोलिंग वाहनों का संचालन भी करना होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि एक्सप्रेसवे पर यात्रियों की सुरक्षा और आपातकालीन सेवाएं उच्च स्तर की हों।

टोल शुल्क और मासिक पास की दरें

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पर टोल शुल्क विभिन्न वाहन श्रेणियों के लिए निर्धारित किया गया है। एक तरफा यात्रा के लिए टोल शुल्क इस प्रकार है:
  • दोपहिया वाहन: अधिकतम 140 रुपये
  • कार और हल्के वाहन: अधिकतम 285 रुपये
  • हल्के वाणिज्यिक वाहन: अधिकतम 440 रुपये
  • बस और ट्रक: अधिकतम 840 रुपये
  • भारी निर्माण वाहन: अधिकतम 1,335 रुपये
  • ओवरसाइज वाहन: अधिकतम 1,745 रुपये
रिटर्न यात्रा करने वाले वाहनों को 25% की छूट दी जाएगी, जो यात्रियों के लिए लागत को और अधिक किफायती बनाएगा। इसके अलावा, नियमित यात्रियों की सुविधा के लिए मासिक पास की व्यवस्था भी की गई है। मासिक पास की दरें निम्नलिखित हैं:
  • दोपहिया और तीन पहिया वाहन: 2,280 रुपये
  • कार और हल्के वाहन: 4,560 रुपये
  • हल्के वाणिज्यिक वाहन: 7,050 रुपये
  • बस और ट्रक: 13,430 रुपये
  • भारी निर्माण वाहन: 21,390 रुपये
  • ओवरसाइज वाहन: 27,910 रुपये
इन दरों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह नियमित यात्रियों के लिए लागत प्रभावी हो। खास तौर पर उन लोगों के लिए जो रोजाना या बार-बार इस मार्ग का उपयोग करते हैं, मासिक पास एक किफायती विकल्प साबित होगा।
टोल आय में भारी वाहनों की होगी अहम हिस्सेदारी
यूपीडा के आकलन के अनुसार, टोल आय में सबसे बड़ा योगदान भारी निर्माण वाहनों से होगा, जो कुल टोल संग्रह का 67% हिस्सा होगा। इसके बाद कार और जीप जैसे हल्के वाहनों की हिस्सेदारी 37% होगी। तीसरे स्थान पर बस और ट्रक (16%) और चौथे स्थान पर मिनी बस जैसे वाहन (11%) रहेंगे। यह संरचना दर्शाती है कि एक्सप्रेसवे का उपयोग मुख्य रूप से वाणिज्यिक और भारी वाहनों द्वारा किया जाएगा, जो क्षेत्र में औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा।

क्षेत्रीय विकास और आर्थिक प्रभाव

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का उद्घाटन पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा। यह परियोजना न केवल गोरखपुर, आंबेडकरनगर, संतकबीरनगर और आजमगढ़ के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगी, बल्कि इन क्षेत्रों को लखनऊ और दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों से भी जोड़ेगी। इससे स्थानीय व्यापार, कृषि उत्पादों का परिवहन और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
इसके अलावा, एक्सप्रेसवे के निर्माण और संचालन से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। टोल संग्रह, पेट्रोलिंग, एम्बुलेंस सेवाएं और रखरखाव जैसे कार्यों के लिए स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, जिससे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

सुरक्षा और सुविधाएं

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे को यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। चार एडवांस श्रेणी की एम्बुलेंस आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं प्रदान करेंगी, जबकि चार सेफ्टी वाहन और चार पेट्रोलिंग वाहन सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक्सप्रेसवे पर यातायात सुचारू रूप से चले और किसी भी आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई हो सके।

पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव

इस तरह के बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ता है। यूपीडा ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि निर्माण कार्य के दौरान पर्यावरणीय मानकों का पालन हो। इसके अलावा, स्थानीय समुदायों के साथ समन्वय करके यह सुनिश्चित किया गया है कि परियोजना से विस्थापन या अन्य सामाजिक समस्याएं कम से कम हों।

आगे की राह

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश सरकार की उस महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है, जिसके तहत राज्य को देश के सबसे बेहतर सड़क नेटवर्क वाले राज्यों में शुमार किया जाए। यह परियोजना न केवल पूर्वी उत्तर प्रदेश को विकास के नए अवसर प्रदान करेगी, बल्कि पूरे राज्य की आर्थिक प्रगति में भी योगदान देगी।
जून या जुलाई 2025 में इस एक्सप्रेसवे के खुलने के साथ ही गोरखपुर और आसपास के जिलों के लिए एक नया युग शुरू होगा। यह परियोजना न केवल समय और लागत की बचत करेगी, बल्कि क्षेत्रीय एकीकरण और समृद्धि को भी बढ़ावा देगी। यूपीडा की यह पहल निस्संदेह उत्तर प्रदेश के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे न केवल एक सड़क है, बल्कि यह विकास, समृद्धि और कनेक्टिविटी का प्रतीक है। अपने पहले वर्ष में 60 करोड़ रुपये की टोल आय के साथ यह परियोजना आर्थिक रूप से भी मजबूत साबित होगी। जैसे-जैसे यह एक्सप्रेसवे वाहनों के लिए खुलेगा, यह पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगा। यह परियोजना उत्तर प्रदेश के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की दिशा में एक और कदम है, जो राज्य को आधुनिक और समृद्ध बनाने की दिशा में अग्रसर है।

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