Gorakhpur News: गोरखपुर अब केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व तक सीमित नहीं है। यह शहर अब पर्यावरण संरक्षण और कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचने की राह पर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन और गोरखpur नगर निगम की मेहनत से सहजनवा के सुथनी क्षेत्र में एक अत्याधुनिक इंटीग्रेटेड वेस्ट मैनेजमेंट सिटी विकसित की जा रही है। यह परियोजना न केवल शहर को स्वच्छ और हरित बनाएगी, बल्कि पूरे देश के लिए कचरा प्रबंधन का एक अनुकरणीय मॉडल भी प्रस्तुत करेगी। यह पहल स्थायी विकास और सर्कुलर इकोनॉमी की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिसकी चर्चा अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी हो रही है।
कचरे से ऊर्जा और संपदा: वेस्ट-टू-चारकोल प्लांट
इस महत्वाकांक्षी परियोजना का पहला चरण गोरखपुर नगर निगम और नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC) के सहयोग से शुरू हो चुका है। सुथनी में 15 एकड़ भूमि पर देश का दूसरा वेस्ट-टू-चारकोल प्लांट तैयार किया जा रहा है। इस प्लांट की खासियत यह है कि यह प्रतिदिन 500 टन सूखे कचरे को टोरेफिकेशन तकनीक के जरिए टॉरेफाइड चारकोल (हरित कोयला) में परिवर्तित करेगा। इस तकनीक का उपयोग पहले वाराणसी में किया गया था, और अब गोरखपुर इस हरित पहल का हिस्सा बन रहा है।
255 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह प्लांट अभी ट्रायल के दौर में है, लेकिन जल्द ही यह पूर्ण क्षमता के साथ काम शुरू कर देगा। इस प्लांट में उत्पादित हरित कोयले का उपयोग NTPC अपने पावर प्लांट्स में करेगा, जिससे कोयले के भंडारण की समस्या नहीं होगी। यह प्रणाली न केवल कचरे को उपयोगी संसाधन में बदल रही है, बल्कि नगर निगम को आर्थिक लाभ भी पहुंचाएगी। अगले 25 वर्षों में इस परियोजना से लगभग 650 करोड़ रुपये की टिपिंग फीस की बचत होने की उम्मीद है। यह शहर के लिए एक दोहरी जीत है—पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक बचत।
बायो-CNG और हैज़र्डस वेस्ट मैनेजमेंट
वेस्ट मैनेजमेंट सिटी का दायरा केवल सूखे कचरे तक सीमित नहीं है। इस परियोजना के तहत 10 एकड़ क्षेत्र में एक बायो-CNG प्लांट भी स्थापित किया जा रहा है। यह प्लांट हर दिन 200 टन गीले कचरे को प्रोसेस करके बायोगैस और बायो-CNG का उत्पादन करेगा। बायोगैस एक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है, जो शहर की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा। इसके अलावा, बायो-CNG का उपयोग वाहनों और अन्य औद्योगिक जरूरतों के लिए किया जा सकता है, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी।
साथ ही, इस सिटी में हैज़र्डस वेस्ट डिस्पोजल यूनिट की भी शुरुआत हो चुकी है, जो प्रतिदिन 5 टन खतरनाक कचरे को सुरक्षित रूप से निपटाने की क्षमता रखती है। यह यूनिट औद्योगिक और चिकित्सकीय कचरे जैसे खतरनाक अपशिष्टों को पर्यावरण के लिए हानिकारक होने से पहले वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधित करेगी। इन सभी पहलों से गोरखपुर न केवल स्वच्छता के मामले में अग्रणी बनेगा, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता के लिए भी एक मिसाल कायम करेगा।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर गोरखपुर की गूंज
गोरखपुर की इस अनूठी पहल को वैश्विक स्तर पर भी सराहना मिल रही है। हाल ही में जर्मनी के बर्लिन में आयोजित ग्लोबल सर्कुलर इकोनॉमी कॉन्फ्रेंस में गोरखपुर नगर निगम के आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने इस परियोजना का प्रेजेंटेशन दिया। इस प्रस्तुति को विदेशी प्रतिनिधियों ने खूब सराहा और इसे सर्कुलर इकोनॉमी का एक उत्कृष्ट उदाहरण माना। यह प्रोजेक्ट न केवल स्थानीय स्तर पर कचरा प्रबंधन की समस्या का समाधान कर रहा है, बल्कि वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए भी एक रास्ता दिखा रहा है।
गोरखपुर का हरित भविष्य: एक प्रेरणा
यह परियोजना गोरखपुर के लिए एक गेम-चेंजर साबित होने वाली है। शहर में हर दिन उत्पन्न होने वाले हजारों टन कचरे को अब लैंडफिल में डंप करने के बजाय उपयोगी संसाधनों में बदला जा रहा है। यह न केवल शहर की साफ-सफाई को बढ़ावा देगा, बल्कि प्रदूषण को कम करने और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने में भी मदद करेगा। साथ ही, यह परियोजना स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है, जिससे आर्थिक विकास को बल मिलेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह विजन गोरखपुर को एक स्मार्ट और सस्टेनेबल शहर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस परियोजना के तहत अपनाई गई तकनीकें और प्रबंधन मॉडल अन्य शहरों के लिए भी प्रेरणा बन सकते हैं। गोरखपुर का यह मॉडल साबित करता है कि कचरे को केवल समस्या के रूप में देखने के बजाय, इसे एक अवसर के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
गोरखपुर की यह पहल भारत के स्वच्छ भारत मिशन और सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDGs) के अनुरूप है। यह परियोजना न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दे रही है, बल्कि सर्कुलर इकोनॉमी को अपनाकर संसाधनों का बेहतर उपयोग भी सुनिश्चित कर रही है। आने वाले वर्षों में यह वेस्ट मैनेजमेंट सिटी गोरखपुर को एक हरित, स्वच्छ और आत्मनिर्भर शहर के रूप में स्थापित करेगी।
गोरखपुर का यह प्रयास न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे भारत के लिए एक मिसाल है। यह दिखाता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति, नवाचार और सहयोग से किसी भी चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है। गोरखपुर अब कचरे को संपदा में बदलकर एक हरित भविष्य की ओर बढ़ रहा है, और यह यात्रा निश्चित रूप से पूरे देश को प्रेरित करेगी।